लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (33)
रोहित के वहाँ से जाते ही अलका रश्मि के पास आई और उसे गले लगा लिया....।
मैं आज बहुत खुश हूँ रश्मि.... आज सही मायने में तुझे सच्ची खुशी मिल गई हैं....।
मैं भी बहुत खुश हूँ अलका.. मुझे भी नहीं पता ये सब कैसे हो गया... पर सच तो ये ही हैं....रोहित पहली ही नजर में मेरे दिल में बस गया था... बस कभी समझ ही नहीं पाई की वो प्यार था....। फिर जब तेरे से दिल्ली वाले हादसे के बारे में सुना और देखा कि कैसे रोहित ने हमारा साथ दिया तो.... मेरे दिल में उसके लिए इज्जत ओर बढ़ गई....।
देर से ही सही पर आखिर कार ऊपर वाले ने तेरी झोली में खुशियाँ तो डाल दी....। बस अब तु रोहित का इंतजार कर और उसके साथ अपने आने वाले भविष्य के सपने देख.... लेकिन हां इन सबके चक्कर में मुझे मत भूल जाना समझी ....वरना मैं तुझे डोली में बैठने ही नहीं दुंगी...। ( ये कहते कहते अलका की आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे। ) वो मन ही मन सोचने लगी... तुझे तो भगवान ने तेरा प्यार दे दिया रश्मि लेकिन मैं चाहकर भी राहुल से कभी अपने प्यार का इज़हार नहीं कर पाउंगी..।
कहां खो गई तु... ऐसा कभी हो सकता हैं क्या....कि मैं तुझे भूल जाऊँ... सच में तु भी ना बिल्कुल पागल हैं...।
वही दूसरी ओर रोहित आकाश की दी हुई लोकेशन पर पहुंचा. वहाँ पहले से ही उसके लोग और रिषभ के लोग थे..। क्या अपडेट है आकाश.... ।
सर रिषभ ने अंदर सभी बच्चों को बंद कर दिया है और सिर्फ आपसे ही बात करने के लिए कहा हैं.... पुलिस के कहने पर भी वो कुछ मानने को तैयार नहीं है...।
ठीक हैं.. उसको मेसेज भेजो मैं बात करने के लिए तैयार हूँ....।
लेकिन सर आपका अकेले अंदर जाना सही नहीं हैं... रिषभ का कोई भरोसा नहीं हैं वो बात करने के बहाने से आपको बुला रहे हो और फिर कुछ गलत हो गया तो....
इस वक़्त हमें उन बच्चों के बारे में सोचना चाहिए आकाश...ये लड़ाई मेरे और रिषभ के बीच की हैं ....उसमें उन बच्चों का कोई कसूर नहीं है... तुम तुरंत रिषभ को मेसेज भेजो...
लेकिन सर...
कोई सवाल नहीं.. जितना कहा हैं उतना करो... तब तक मैं कमिश्नर सर से मिलकर आता हूँ...।
ओके सर...।
आकाश ने पुलिस के द्वारा लाये हुए स्पिकर से रिषभ को मेसेज भेजा....।
सर मैं रिषभ से अकेले अंदर मिलने जा रहा हूँ.... जब तक सभी बच्चे सही सलामत बाहर ना आ जाए कोई एक्शन मत लिजिएगा....।
कमिश्नर :- लेकिन रोहित इसमें तुम्हारी जान को भी खतरा हो सकता हैं...। रिषभ ने तुम पर अटैक किया तो...।
वो जब तक मुझसे कागजात पर साइन नहीं ले लेता तब तक कुछ नहीं करेगा.. ये मैं अच्छे से जानता हूँ...। और इस वक़्त मुझे उन बच्चों की ज्यादा चिंता हैं.... आप बस मेरे अंदर जाने का इंतजाम किजिए और सभी बच्चों के बाहर आने के बाद ही एक्शन लिजिएगा....।
कमिश्नर- ओके रोहित जैसा तुम कहो.... मैं अपनी एक टीम को भी तुम्हारें साथ तैयार करता हूँ.... बच्चों के बाहर आतें ही वो अंदर आ जाएगी.... लेकिन अगर आपको कोई भी खतरा लगे तो हमें कैसे भी करके इन्फार्म कर देना...।
ओके सर....। थैंक्यु....।
कमिश्नर :- रोहित.... आज तुममे.... मुझे तुम्हारे पापा की झलक दिखाई दे रहीं हैं... वो भी बिल्कुल ऐसे ही निडर और सच्चाई पर चलने वाले शख्स थे...। उनका नाम रोशन करने का वक्त हैं बेटा..।
थैंक्यु सर....। उनका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ हैं...।
(रोहित ने जिस अनाथालय में अपनी सारी सम्पत्ति डोनेट की थी.... रिषभ और उसके साथियों ने उसी अनाथालय के सभी बच्चों को बंदी बना लिया था....। पुलिस के समझाने और डराने के बावजूद रिषभ ने बच्चों को छोड़ने से मना कर दिया.... वो सिर्फ रोहित से बात करने को तैयार हुआ था..।)
रोहित पूरी सावधानी से भीतर चला गया...। अंदर जाते ही रोहित को रिषभ के लोगों ने चारों ओर से घेर लिया...।
मुझे नहीं पता था रिषभ.....तु पैसों के लिए इतना गिर जाएगा...। इन बच्चों ने तेरा क्या बिगाड़ा था... अरे कुछ तो शर्म कर...और चाचा आप भी ऐसे में रिषभ को समझाने की बजाय उसका साथ दे रहे हैं.... मुझे आपसे तो ये उम्मीद बिल्कुल नहीं थी...।
अगर पहले ही शराफत से सब हमारे नाम कर दिया होता तो मुझे ये सब करने की जरूरत ही नहीं पड़ती..। बीस करोड़ की जमीन इन भूखे नंगों के नाम कर दी और हमें.... हमें क्या दिया....। तेरे बाप ने भी हमारे साथ धोखा किया और तुने भी...।
पापा ने कोई धोखा नहीं दिया था रिषभ .....तुने चाचा के साथ मिलकर उनकी कम्पनी में करोड़ों का घपला किया था... तभी पापा ने तुम्हे कम्पनी और जायदाद से बेदखल कर दिया था....। मैं आज भी अपने पापा की मौत भूला नहीं हूँ रिषभ ....तेरे ही कारण उनकी मौत हुई थी.... उन सबके बावजूद मैं तुमसे अब तक भाई का रिश्ता निभा रहा हूँ.... क्योंकि पापा को जातें जातें भी तेरी चिंता थी... उन्होंने मुझसे कहा था तेरा ध्यान रखने को... अभी भी वक़्त है रिषभ संभल जा.. ये सब गलत काम और गलत आदतें छोड़ दे और मेहनत से मेरी कम्पनी में काम कर..... मैं
बंद कर अपनी बकवास.... काम और मैं... अरे मैं तो मालिक हूँ उस कम्पनी का.... मै वहाँ काम करुंगा... मुझे ज्यादा लेक्चर मत दे.... जो मेरा हैं चुपचाप मेरे नाम कर दे..। मुझे मेरी जायदाद वापस कर और इन भिखारियों को लेकर यहाँ से निकल जा...।
ठीक है..... अगर तु ऐसा ही चाहता हैं तो ऐसा ही सही....। इन बच्चों का इस सबसे कोई लेना देना नहीं हैं... इसलिए इनको छोड़ दे... उसके बाद तु जो बोलेगा मैं करने को तैयार हूँ...।
मोहन :- वाह बेटा.... हमें पागल समझा हैं क्या.... बाहर पूरी फौज खड़ी कर दी हैं पुलिस की... बच्चों को छोड़ते ही सब हम पर चढ़ जाएंगे....।
रोहित- कोई कुछ नहीं करेगा चाचा मेरा विश्वास किजिए.... ये लड़ाई आपकी ओर मेरी हैं ना.... हम दोनों ही लड़ेंगे... आप बच्चों को छोड़ दिजिए... मैं पुलिस को यहाँ से भेज देता हूँ...।
मोहन- हमें किसी से कोई लेना देना नहीं हैं रोहित... हमें बस इन कागज़ पर तेरे साइन दे दे.... और हमें यहाँ से सही सलामत बाहर जाने का इंतजाम कर दे....। उसके बाद तु और तेरे ये बच्चे जहाँ चाहिए वहाँ चले जाना..
चाचा प्लीज.... पहले इन बच्चों को जाने दिजिए.... मैं सिग्नेचर करता हूँ सब पेपर्स पर.....।
बड़े भाई क्यूँ हम सबका समय खराब कर रहे हो....। लो पेपर साइन करो और चले जाओ इनको लेकर... बात खत्म. ..।
ठीक हैं.... लाओ....!
रोहित ने पेपर्स लिए और सब पर अपने हस्ताक्षर कर दिए...। लो हो गए सिग्नेचर....अब इन्हें जाने दो....।
मोहन ने झट से पेपर्स लिए और पलट पलट कर देखने लगे...। फिर वो रिषभ के पास पेपर्स ले गया और दोनों जोर जोर से कहकहे लगा कर हंसने लगे....। अपने लोगों के साथ अपनी जीत पर खिलखिलाने लगे....। रोहित ने इसी मौके का फायदा उठाया और वहाँ बैठे हुए बच्चों को ....बाहर की ओर जाने वाले रास्ता दिखाते हुए भागने को कहा....सभी बच्चे पूरी तेजी से वहाँ से भाग खड़े हुए....ये सब इतना जल्दी हुआ की रिषभ और उसके साथी कुछ समझ ही नहीं पाए....। बच्चों को बाहर आता देख बाहर खड़ी पुलिस की टीम भी हरकत में आ गई उन्होंने जल्दी से एक्शन लिया और एक टीम अंदर की ओर चली गई और दूसरी टीम बच्चों को बाहर लाने लगी....। वही भीतर हुए इस अचानक उथल पुथल से रिषभ और मोहन घबरा गए..... वो कुछ समझते और संभलते इससे पहले ही रोहित ने पलक झपकते ही उनके हाथों से सिग्नेचर किए हुए कागजात भी हथिया लिये....। अचानक हुई बच्चों की भगदड़ से उसके साथी भी हैरत में थें....।। लेकिन पुलिस को अंदर आता देख सभी ने पोजीशन ले ली और फायरिंग शुरू हो गई....। दोनों ओर से लगातार गोलियां चलने लगीं..।
वही दूसरी ओर हास्पिटल में अलका और रश्मि अभी भी राहुल के होश में आने का इंतजार कर रही थी... । अलका और रश्मि बाहर बरामदे में बैठी हुई थी....। रश्मि की मम्मी....राहुल को देखने के लिए उसके कमरे में गई....। वो कमरे में गई ही थी कि राहुल को होश आ गया.. वो झट से उसके पास गई और बोली:- भगवान का लाख लाख शुक्र हैं....की तुझे होश आ गया.... अलका और रश्मि तो कबसे राह देख रही है... मैं अभी उनकों बुलाकर लाती हूँ...। ऐसा कहकर वो कमरे से बाहर आई और अलका, रश्मि को आवाज लगाई और नर्स को भी बुलाया...।
अलका ये सुनते ही तेजी से भागती हुई भीतर आई.... और राहुल के पास आकर खड़ी हो गई.... वो चाहतीं तो थी कि उसी वक़्त राहुल को गले से लगा ले पर वो ऐसा कुछ नहीं कर सकतीं थी.... भले ही रश्मि रोहित से प्यार करतीं हैं पर ये बात अभी राहुल को पता नहीं थी.... अलका को डर था कि कहीं राहुल को पता चलने पर ..वो.....। ऐसे में अपने प्यार का इज़हार.... नामुमकिन था.... इसलिए वो बस खामोश आंखों से राहुल को देखती रही... उसकी आंखों में खुशी के आंसू बहने लगे...।
नर्स ने चेकअप किया ओर कहा- अभी आप बिल्कुल ठीक हैं.... डोंट वैरी.... कल तक आपको डिस्चार्ज भी कर दिया जाएगा...। ऐसा कहकर नर्स वहाँ से चली गई... ।
थैंक गाड.... तुम उठे तो सही.... कितना सोते हो तुम... अभी चलो मिस्टर... जल्दी से खड़े हो जाओ.... आफ्टरोल अब मेरी शादी में नाचना हैं तुम्हें...।
ये सब सुनते ही अलका तुरंत रश्मि के पास आई और बोली:- रश्मि बस अभी उसे थोड़ा आराम करने दे.... हम बाद में सारी बातें बताते हैं ना....।
रश्मि- हां बाबा.... कर लेने दे अभी आराम... ।
अलका रश्मि को वहाँ से लेकर बाहर ले जाने लगीं..... ओर बोली:- हम डाक्टर से बात करके आतें हैं और कुछ खाने को भी लाते हैं.... ओके हम अभी आए....।
अरे तु मुझे ऐसे बाहर क्यूँ ले आई..... क्या हुआ....। राहुल को रोहित के और मेरे बारे में बताने भी नहीं दिया.... बात क्या है.... अरे वो कितना खुश होगा तुझे पता है.... हमेशा मेरी चिंता करता रहता था.... जब उसे पता चलेगा तो सबसे ज्यादा खुश वो होगा.... और तु हैं की इतनी बड़ी बात मुझे बताने भी नहीं दी.... अभी चल अंदर... यहाँ क्यूँ लाई हैं मुझे...।
रुक रश्मि हम अभी राहुल को कुछ नहीं बता सकतें...!
लेकिन क्यूँ.... क्या हुआ...?
कुछ नहीं हुआ हैं. । हम बस उसे सरप्राइज देंगे....। जब वो पूरी तरहा से ठीक हो जाएगा और रोहित भी यहाँ आ जाएगा फिर.... समझी..... तब तक हम राहुल को कुछ नहीं बताएंगे....।
ओहहह तो ऐसा बोल ना यार.... ठीक हैं. हम ऐसा ही करेंगे.... अभी चले अंदर....।
हां.... चल.....।
अलका मन ही मन ऊपरवाले का शुक्रिया अदा करते हुए बोली.....थैंक यू गाड... जो राहुल को अभी कुछ पता नहीं चला वरना पता नहीं उस पर क्या बितती.... अभी कम से कम जब तक रोहित ना आ जाए.... तब तक तो... ये बात उससे छुपी रहेगी.... प्लीज भगवान राहुल को हिम्मत देना. .!
वही दूसरी ओर अभी भी रिषभ और पुलिस के बीच फायरिंग चल रहीं थी...। रोहित ने सभी बच्चों को पुलिस टीम की मदद से सही सलामत बाहर निकाल लिया था....। बहुत देर तक ऐसे ही लुका छिपी वाली फायरिंग चलती रहीं.....। पर एक वक्त ऐसा आया कि वहाँ अचानक से सन्नाटा छा गया....। इस फायरिंग और झड़प में मोहन के हाथों से एक गोली रिषभ को चिढ़ते हुए निकल गई...। मोहन ने वो गोली रोहित पर चलाई थी...इस बात से अंजान की पीछे रिषभ आ रहा हैं ....रोहित को गिरफ्त में लेने के लिए....लेकिन रोहित सही समय पर झूक गया और वो गोली सीधे रिषभ के माथे को चिढ़ते हुए निकल गई.... रिषभ धड़ाम से फर्श पर गिर गया....। चंद लम्हों में ही उसकी सांसें थम गई...। मोहन कुछ समझ पाता और उसके करीब आता तब तक तो रिषभ दम तोड़ चुका था...। अचानक हुए इस हादसे से गहरा सन्नाटा छा गया...। सब कुछ जैसे थम गया हो...। रोहित भी आवाज के साथ पलटा... रिषभ को ऐसे देख वो भी बदहाल हो गया...। मोहन दौड़ता हुआ आया और जोर से चिल्लाया.... रि..... ष...... भ.....। वो रिषभ को बार बार उठा रहा था... रो रहा था.... अपने ही हाथों से अपने ही बेटे की मौत का बोझ वो सह नहीं पा रहे थे.... रोहित उनको संभालने की बरसक कोशिश कर रहा था.... पर मोहन बस एक ही बात बोलकर रोए जा रहा था कि... मैने अपने ही बेटे को मार डाला... मुझे जीने का कोई हक़ नहीं... मुझे भी मार डालों.....।ये मुझसे क्या हो गया.... रिषभ....उठ जा.... मेरे बच्चे....
पुलिस ने मोके की नजाकत को समझते हुए सभी लोगों को हिरासत में ले लिया और मोहन को भी हिरासत में ले लिया... रिषभ की लाश को पुलिस टीम ने पोस्टमार्टम के लिए एंबुलेंस में भेज दिया...।
कई घंटों की चल रहीं झड़प का ऐसा अंत किसी ने सोचा ही नहीं था..... मोहन का हाल तो शब्दों में बयान करने जैसा ही नहीं हैं...।
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